Jharkhand Coronavirus update News:इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना मुस्लिम होने के कारण गर्भवती महिला का इलाज न करने से गर्भ में ही बच्चे की मौत।
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जरा देखिए की कुछ न्यूज चैनलों द्वारा समाज में कितना जहर घोल दिया गया है एक समुदाय के प्रति। डाक्टर जिन्हें भगवान का दूसरा रूप माना जाता है वो भी भेदभाव का ऐसा घिनौना कृत कर रहे हैं कि एक संवेदनशील व्यक्ति की आत्मा भी कांप उठे। माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्वयं कहा है कि- कोरोना हमला करने से पहले धर्म, जाति, रंग, भाषा और सीमाएं नहीं देखता है। लेकिन फिर भी एक खास समुदाय के प्रति इतनी घृणता कि लोग किसी मासूम की जान की परवाह भी नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों से बहुत सी ऐसी खबरें आ रही हैं जोकि बहुत ही दुखद है।
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Report & written by Rashid khan 20 April 2020
Jharkhand: न्यूज़ चैनलों के फैलाए गए नफ़रत का परिणाम बेहद दुखद घटना।
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जमशेदपुर, झारखंड- हमारे देश के कुछ न्यूज चैनलों द्वारा जिस तरह एक खास समुदाय को लगातार बदनाम करने की कोशिशें कर जा रही हैं उसके परिणाम लगातार देश के भिन्न भिन्न हिस्सों से आए रहें हैं। एक ताजा दुखद घटना झारखंड के जमशेदपुर में घटित हुई है जहां एक मुस्लिम महिला सांप्रदायिकता (जिनका नाम रिजवाना खातून हैं) का निशाना बनी, वह गर्भवती थी और उसके शारीरिक पीड़ा के कारण खून बह रहा था और जब वे जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में इलाज के जाती हैं तो उनके धर्म के आधार पर अस्पताल के स्टाफ सदस्य द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है और उनको प्रताड़ित करते हुए कहा जाता है कि तुम लोग कोरोनावायरस फ़ैला रहें हों, और उसके बाद उन्हें अस्पताल की एक नर्स उनके बहते हुए खून को खुद साफ़ करने को कहती हैं। रिजवाना कहती हैं कि शारीरिक कमजोरी के कारण वे कोई भी मूवमेंट करने में बिल्कुल असमर्थ होती हैं जिस कारण वह नर्स उन्हें चप्पलों से पीटती हैं। अपने साथ हुए इस दुर्व्यवहार के कारण, रिजवाना इस प्रक्रिया में अपने बच्चे को खो देती हैं। रिजवाना कहती हैं कि जब अस्पताल में उनके साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार किया जाता है तो उन्हें मजबूरन एक निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ा। जहां चिकित्सक ने उनके बच्चे को मृत घोषित कर दिया यहां पे पत्रकार को भी बहुत दुख होता है यहां अत्यंत दर्डनीय तस्वीर है। राज्य के मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र में, खातून ने कहा है, "मेरे धर्म की तर्ज पर अस्पताल के जिन कर्मचारियों (जिन्हें मैं पहचान सकती हूं कि अगर सीसीटीवी फुटेज उन्हें दी जाएं) ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया था और मुझसे कहा था कि मैं अपना खून पोंछ सकती हूं।" 'क्योंकि मैं शारीरिक कमजोरी के कारण कांप रही थी। उन्होंने आगे आरोप लगाया है, "मुझे चप्पलों से पीटा गया था। खातून कहती हैं कि- अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही और मिलीभगत के कारण मैंने अपना बच्चा खो दिया, उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंनेे लिखा हैं कि-"मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि अगर अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा मेरे साथ उचित व्यवहार किया जाता तो मैं अपना बच्चा नहीं खोती," मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, राज्य पुलिस ने इस घटना की पुष्टि की है और शहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसएसपी अनूप बिरथे ने कहा, "मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला है कि कुछ ऐसा आरोप लगाया गया है, लेकिन हमें अभी तक इस संबंध में किसी से कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है।" रमजान में रोज़ा रखने के फायदे: क्लीक करे
जरा देखिए की कुछ न्यूज चैनलों द्वारा समाज में कितना जहर घोल दिया गया है एक समुदाय के प्रति। डाक्टर जिन्हें भगवान का दूसरा रूप माना जाता है वो भी भेदभाव का ऐसा घिनौना कृत कर रहे हैं कि एक संवेदनशील व्यक्ति की आत्मा भी कांप उठे। माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्वयं कहा है कि- कोरोना हमला करने से पहले धर्म, जाति, रंग, भाषा और सीमाएं नहीं देखता है। लेकिन फिर भी एक खास समुदाय के प्रति इतनी घृणता कि लोग किसी मासूम की जान की परवाह भी नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों से बहुत सी ऐसी खबरें आ रही हैं जोकि बहुत ही दुखद है।
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