Coronavirus update News

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 दुनिया भर में का है  coronavirus का केेहर बड़ता जा रहा लेकिन एनसीआरबी के रिपोर्ट के अनुसार डेली बेस पे कम मौते हुई है या यूं कहो कि बिल्कुल नहीं। लेकिन दूसरी तरफ coronavirus में लोकडाउन में गरीबों और मजदूरों की भूख से मारने के आंकड़े भी तेजी से बढ़ रहे है।

Coronavirus update: अभी तक भारत में कुल 15,712 Coronavirus के केस आए है 507 मौतें और 2,231लोग सही हुए है।

NCRB(नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो)के जारी आँकड़ों के अनुसार पिछले 10 सालों में 13,81,314 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है। प्रतिवर्ष की बात करूँ तो यह आँकड़े 138,131 , प्रति माह की बात करूँ तो 11510 लोग अधिकारिक रूप से सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान खो देते हैं।
Cornavirus में लाकडाउन में सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर लगभग शून्य है अर्थात 22 मार्च से जनता कर्फ्यू के बाद आजतक लगभग 11510 लोग सड़क दुर्घटना से अपनी जान बचा चुके हैं।
एनसीआरबी के जारी आँकड़ों के अनुसार इस भारत में नवंबर 2019 तक 50 लाख संज्ञेय अपराध के मामले दर्ज हुए , जिसमें महिला उत्पीड़न , हत्या और डकैती इत्यादि के मामले थे।
महिलाओं के खिलाफ बलात्कार , हत्या और मारपीट की एनसीआरबी के जारी आँकड़ो के अनुसार पिछले साल 3,99,849 मामले दर्ज किए गए थे। सामान्य रूप से देश में करीब 30 हज़ार हत्या , और करीब 1 लाख अपहरण के मामले दर्ज हुए।
मुंबई के बाद अब गुजरात में भी मजदूर सड़क पे उतरे
इस coronavirus  में विभिन्न प्रदेशों से अपराध के जो आँकड़े जारी हो रहे हैं उनमें 65-80 प्रतिशत तक गिरावट है। राष्ट्रीय स्तर पर इसको देखें तो इसमें लाकडाउन के समय अपराधों में लगभग 73% की कमी आयी है।
देश के लगभग सभी अस्पतालों/ डाक्टर्स के प्राईवेट चैम्बर्स की OPD बन्द है। इसका अर्थ है कि सामान्य रोगी नहीं पहुँच रहे हैं। आपातकालीन वॉर्ड में कोई भीड़ नही है। कोरोना से प्रभावित मरीजों के अलावा कोई नए मरीज नही आ रहे हैं।
हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, ब्रेन हैमरेज के मामले अचानक बहुत कम हो गए हैं। पैथोलोजी और रेडियोलाजी में सामान्य और गंभीर जाँच के लिए मरीज़ों की संख्या बहुत ही कम हो गयी।
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Coronavirus में अचानक ऐसा क्या हुआ है, की तमाम सामान्य बीमारियों में इतनी गिरावट आ गई ? यहाँ तक कि श्मशान और कब्रस्तान में आनेवाले मृतको की संख्या भी घट गई हैं।
तो अपराध के मामले दर्ज हुए तो इसका कारण समझ में आता है कि कोई घर से नहीं निकल रहा है पर मर्ज़ और मरीज़ों के मामले सामने क्युँ नहीं आ रहे हैं ?
दरअसल मेडिकल घपलेबाजी की वास्तविकता सामने आ रही है की जहाँ भी कोई मरीज़ सामने आए वहाँ पर डॉक्टर उसे जानबूझ कर गंभीर स्वरूप दे रहे थे और कमीशन के लिए दर्जनों टेस्ट लिख कर दे रहे थे।
जब से भारत में अस्पतालों का सेवाभाव की जगह व्यापार का स्वरूप दिया गया इस विभाग का मर्ज़ बढ़ता गया। कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स , टेस्टिंग लैब्स की बाढ आई और तभी से यह संकट गहराने लगा था।
मामूली सर्दी, जुकाम और खांसी में भी हजारों रुपये की टेस्ट्स करनें के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा था। छोटी सी तकलीफ में भी धड़ल्ले से ऑपरेशन्स किये जा रहे थे। मरीजों को यूँ ही ICU में रखा जा रहा था। बीमारी से ज्यादा भय उपचार से लगने लगा था।
अब कोरोना आने के बाद यह सब अचानक कैसे बन्द हो गया?
इसके अलावा एक और सकारात्मक बदलाव आया है। कोरोना आने से लोगों के होटल में खाने पर भी अंकुश लग गया है , फास्टफूड से दूरी बढ़ी है और लोग स्वयं ही बाहर के सड़क छाप और यहाँ तक कि बड़ी होटलों के बंद होने से घर का खाना खाने लगे हैं।
लोगों के अनेक अनावश्यक खर्च बंद हो गए हैं ? कोरोना नें इंसान की सोच में परिवर्तन ला दिया है। हर व्यक्ति जागृत हो रहा है।
अपराध कम होने से पुलिस पर मानसिक दबाव कम हो गया है और वह मानवीय हो गयी है , लोगों को और व्यवस्था को नियंत्रित करने में प्रशासन का तनाव कम हुआ है और वह गरीबों को यथासंभव भोजन राशन पानी उपलब्ध करा रही है।
दिल्ली की यमुना नदी पवित्र हो गयी है , तमाम नदियाँ भी शुद्ध हो चुकी होंगी क्युँकि उनमें गिरने वाला औधोगिक कचरा और कूड़ा बंद हो चुका है।
वातावरण शुद्ध हो चुका है , गाड़ियाँ ना चलने से प्रदूषण में ऐतिहासिक गिरावट आई है , ओज़ोन परत के छेद बंद होने की खबर है। तस्वीरें जालंधर से आई हैं, जहां से हिमांचल प्रदेश में स्थित हिमालय पर्वत की धौलाधार रेन्ज के बर्फीले पर्वत देखे जाने लगे हैं।
जीवन में ना कोई तनाव है ना भागमभाग।
सब कुछ जैसे नियंत्रित हो गया है। शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए कितनी कम जरूरतें हैं , यह अगर वास्तव में समझ में आ रहा हो, तो उसे बीमारियाँ, भोजन, और पैसे की चिंताओं से बहुत हद तक मुक्ति मिल सकती है।
आज ना कल coronavirus पर तो नियंत्रण हो ही जाएगा, पर उससे हमारा जीवन जो आज नियंत्रित हो गया है, उसे यदि हम आगे भी इसी तरह नियंत्रण में रखें, आवश्यकताएँ कम करें, तो जीवन वास्तव में बहुत सुखद एवं सुंदर हो जाएगा।
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