History of Sultan Salahuddin ayyubi in Hindi


History of Sultan Salahuddin ayyubi

 History of Baitul Mukaddas Jerusalem the greatest Warrior of Islam Sultan Salahuddin ayyubi r.a (Hindi)


इस्लाम में बहुत कम ऐसे पाते हैं और हुक्मरान गुजरे हैं जिनको मुसलमानों के साथ-साथ गैर मुस्लिम भी इज्जत की निगाहों से देखते हैं ऐसे ही हुक्मरानों में sultan Salahuddin ayyubi r.a एक ऐसा नाम है जो इनकी बहादुरी रंगीली और दानिश मंदी की मिसाल दुश्मन आने इस्लाम भी दिया करता है अक्सर मुसलमानों ने Sultan Salahuddin ayyubi का नाम तो जरूर सुना होगा मगर अफसोस बहुत कम मुसलमान ऐसे हैं जो इस्लाम के इस मुजाहिद के इतिहास के बारे में जानते होंगे क्योंकि आज का मुसलमान इस्लाम की हीरो से ज्यादा हॉलीवुड बॉलीवुड के हीरो के बारे में जानने की दिलचस्पी रखता है तो अगर आप चाहते हो कि sultan salahuddin ayyubi जैसे मुस्लिम हुक्मरानों का इतिहास आपको मालूम हो तो इस कंटेंट को आखिर तक जरूर पढ़ें इनका पूरा नाम सुल्तान सलाहुद्दीन युसूफ था यह 1138 ईस्वी में मौजूदा इराक की तकरीर शहर में पैदा हुए इनके सल्तनत को अयूबी सल्तनत कहा जाता है इनकी मौजूदगी में मुसलमानों ने मिस्त्र, शाम यानी सीरिया, यमन, ईराक वगैरह मुल्कों को फतह किया इस्लाम में सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी का इतना ऊंचा माकाम इसलिए है क्योंकि यह वही बहादुर मूसा ही थे जिन्होंने जालिम ईसाइयों से मुसलमानों के बैतुल मुक़द्दस  को फतह किया था इसीलिए इन्हें Baitul Mukaddas का विजेता भी कहा जाता है ।
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Sultan Salahuddin ayyubi के बारे में जाने के लिए पहले हमें इतिहास में थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा 634 ईस्वी - 645 ईसवी में हजरत उमर रजि अल्लाहु ताला अनु की खिलाफत में मुसलमानों ने सीरिया और मिश्र को फतह कर लिया था इसमें सबसे बड़ी फतेह थी Baitul Mukaddas की फतेह फिर संधू की सल्तनत जब कमजोर पड़ी तो मुसलमानों की छोटी-छोटी हुकुम तो मिट गए जिसका फायदा उठाकर ईसाइयों ने बैतूल मुक़द्दस मुसलमानों की हालत होती छीन लिया मुसलमानों के हारने की बड़ी वजह यह थी कि वह फिरको में पड़ चुके थे और सन 1099 ईस्वी में ईसाइयों ने फलस्तीन के साथ बेतूल मध्य इस पर भी कब्जा कर लिया और मुसलमानों के साथ जुल्म की हदें पार कर डाली यह जालिम इसाई फौजियों ने मुसलमान औरतों और बच्चों समेत 70 हजार मुसलमानों को शहीद किया पूरा फलस्तीन मुसलमानों के खून से लाल हो चुका था जब फलस्तीन पर ईसाइयों का कब्जा हो गया तो पूरी इस्लामी दुनिया में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा क्योंकि फलस्तीन इस्लामी दुनिया का दिल है Baitul Mukaddas मुसलमानों का अव्वल कीबला है फिर अलग-अलग वक्त पर कई मुस्लिम हुक्मरानों ने Baitul Mukaddas को आजाद कराने की कई कोशिशें की मगर वह कामयाब ना हो सके नूरुद्दीन जंगी वह हुक्मरान थी जिन्होंने Baitul Mukaddas को फतह करने का बीड़ा उठाया उनकी ख्वाहिश थी कि BaitulMukaddas फतेह के बाद मस्जिदे अक्सा में अपने हाथ से यह मिम्बर लगाऊं मगर अल्लाह को यह मंजूर नहीं था पता है बैतुल मुक़द्दस की फतेह से पहले ही उनका देहांत हो गया sultan salahuddin ayyubi नूरुद्दीन जंगी की फौज में एक फौजी थे। मिस्र को जिस फौज ने फतह किया था उसमें सलाउद्दीन अयूबी मौजूद थे और इस फ़ौज की कमान को इनके ही हाथ में थी । सलाहुद्दीन अयूबी के चाचा थी मिश्र फतेह होने के बाद 1164 ईस्वी में सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी को उनकी बहादुरी और तेज तहनियत को देखते हुए मिस्र का गवर्नर बना दिया गया इन्होंने अपनी बहादुरी और जंगी चलाकी से अपनी अकल के बलबूते पर उसी वक्त यमन को भी फतह कर लिया था नूरुद्दीन जंगी का इंतकाल हुआ तो उनका कोई लायक उत्तराधिकारी ना था इसलिए उन्होंने अपनी पूरी सल्तनत पर सलाहुद्दीन अयूबी के नाम कर दिया और इस वक्त salahuddin ayyubi  की उम्र महज 21 साल ही थी इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सलाहुद्दीन अयूबी किस कदर बहादुर और बेहतरीन हुक्मरानी के मालिक थे सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी ने Baitul Mukaddas को फतह करने को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया था इनके दिलो-दिमाग में इस्लाम का जज्बा भरा पड़ा था इस्लाम के लिए कुछ कर गुजरने का इन्होंने ठान लिया था और फिर अल्लाह  ने मिस्र के हुक्मरान के तौर पर इनको पावर भी दे दी। Salahuddin ayyubi जब मिश्र पहुंचे तो उन्होंने देखा कि ईसाइयों ने मिस्र को बर्बाद करके रख दिया है यहां के लोग शराब में धुत रहते जनाकारी बिल्कुल आम हो चुकी थी मिस्र की हुकूमत में कुछ मुसलमान ऐसे भी थे जो ईसाइयों के एजेंट थे  sultan salahuddin ayyubi को इन दोनों मुसीबतों से लड़ना था पहला तो शराब और जनाकारी को मुल्क से खत्म करना जो कि इतना आसान नहीं था और दूसरा और गद्दार मुसलमानों को ढूंढ निकालना जो ईसाइयों की एजेंट बन बैठे थे और उधर बैतुल मुक़द्दस की फतेह करने के लिए सलीबीयो से उन्हे जंग जारी रखनी थी तो तब सलाउद्दीन अयूबी मिस्र में दाखिल हुए तो वहां का जो सबसे बड़ा फौजी कमांडर था जिसका नाम नाती था वह सलाउद्दीन अयूबी को देखकर मुस्कुराता है क्योंकि यह पक्का ईसाइयों का एजेंट था और उन्हीं के लिए मिस्र में काम कर रहा था तो उसने सब देखा कि 22 साल का नौजवान दीन-ए-इस्लाम की बातें कर रहा है बैतूल मुक़द्दस उसको फतह है करने की बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है ।

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जब कमांडर नाती अपने सभी शैतानी साथियों के साथ महफिल में बैठा तो उसके साथियों ने कहा कि अब तो तुम्हारी इरादे कामयाब ना होंगे क्योंकि अब एक सच्चा मुसलमान हुकमाराम तुम पर हाकिम हो गया है तो उस कमांडर नाती ने हंसकर कहा कि अरे यह तो बच्चा है हम इस बच्चे को पाल लेंगे मैं देख लूंगा। एक शख्स बोला सलाहुद्दीन अयूबी को लेकर बहुत जल्द पता चल गया कि यह बच्चा नहीं यह नाको चने चबाने वाला जूता है। दोस्तो उस दौर में ईसाई, मुसलमानों से जंग तलवारों की ताकत पर ना जीत पाते तो मुसलमानों की फौज में अपने एजेंट भेज देते और दो चीजों से मुस्लिम हुक्मरानों को अपने वश में करने की साजिश करके या दूसरी खूबसूरत लड़कियां इसाई हुक्मरान अपनी ही बेटियों को मुस्लिम हुक्मरानों के खेमे में यह कह कर भेज देते कि जाओ तुम उसके साथ कैसे भी करके जीना करो उसको अपनी तरफ लुभाओ युरुस्लम ( ईसाई भगवान)  तुम्हें सीधे जन्नत देगा और इन ईसाइयों के इस शैतानी साजिश का शिकार हो जाती जब बैतूल मुक़द्दस के इसाई हुक्मरानों को पता चला कि sultan salahuddin ayyubi नाम का तुर्क लड़का बैतूल मुक़द्दस फतह करने आया है तो उन ईसाइयों ने सलाहुद्दीन अयूबी के साथ भी यही चाल चली कमांडर नाती जो मुसलमानों के भेष में ईसाइयों का एजेंट था उसने कई मर्तबा sultan salahuddin ayyubi को अलग-अलग महफिलों में बहाने से शराब पिलाने की कोशिश की मगर सलाहुद्दीन अयूबी पक्के मुस्लिम थे वह कहते कि यह मुस्लिम देश है जहां शराब पीना हराम है और मैं तो बिल्कुल भी शराब नहीं पियूंगा नाती जी को लगा कि सलाहुद्दीन तो शराब को हाथ भी नहीं लगाता है तो उसने लड़की वाला फार्मूला अपनाया एक रात को ना जीने एक खूबसूरत लड़की को इस काम के लिए तैयार कर लिया फिर sultan salahuddin ayyubi के पास आकर बोला कि सुल्तान एक लड़की परेशान है बहुत दूर से आई है आप से बड़ी उम्मीदें लगाई हुई है वह आपसे मिलना चाहती है sultan salahuddin ayyubi ने कहा कि ठीक है बुला लो नाती ने कहा नहीं नहीं सुल्तान वह आपसे अकेले में ही अपनी परेशानी बताने की जिद कर रही है तब सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी मुस्कुराए क्योंकि उनको अंदाजा हो गया था कि यह बदबख्त मुझे एक इस साजिश में फंसाना चाहता है मगर सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी ने कहा कि ठीक है मैं मेरे खेमे में जा रहा लड़की को भेज देना फिर उस लड़की को भेजा गया हालांकि पूरी प्लानिंग यह थी कि उस लड़की को कहा गया था कि तुम जाओ और किसी न किसी तरह सुल्तान के साथ गलत हरकतें करो और सुल्तान को अपनी तरफ माइल करो और अगर तुम सुल्तान को एक गिलास भी शराब पिला दो तो जो तुम मांगोगे वह तुम्हें दिया जाएगा मगर जब लड़की अंदर गई तो सलाहुद्दीन अयूबी ने उसे देखते ही अपने कंधे से चादर उतारी और उस लड़की को दी और कहा कि इससे अपना बदन ढक लो इस अमल से वह लड़की अपने आप पर शर्मिंदा हो गई सलाउद्दीन अयूबी ने उससे पूछा कि तुम्हारे मां-बाप कौन है तो वह लड़की इस सवाल का जवाब ना दे सकी क्योंकि इस स्लेबियन ईसाई ऐसी लड़कियों को बचपन में ही कहीं से अगवा कर लिया करते थे और इस तरह के कामों के लिए उनकी खास परवरिश किया करते थे फिर वह लड़की रोते हुए बोली के इन लोगों ने मुझे आपके साथ गलत हरकतें करने के लिए भेजा था सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी मुस्कुराए और कहा कि जाओ उनसे कह दो कि जो काम तुमने कहा था वह मैंने कर दिया जब वह लड़की अपने सरदारों के पास गई तो अगले ही दिन नाती उठा और शोर मचाने लगा कि देखो हमारा सुल्तान तो शराबी है वह तो लड़कियों के साथ जिन्हा कारी करता है जब सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी अपने खेमे से बाहर आए तो लोगों में उनकी बातें चल रही थी सुल्तान ने कहा कि ज़रा उस लड़की को तो पूछ लो कि रात को क्या हुआ था जब लड़की को बुलाया गया तो उस लड़की ने सबके सामने कहा कि जिस खुदा को मैं मानती हूं उसकी कसम मेरे सलाहुद्दीन जैसा बहादुर और शरीफ इंसान आज तक नहीं देखा मैं रात भर उनके साथ रही मगर सुल्तान ने एक गलत निघा भी मुझ पर न डाली फिर उस सलेबियन एजेंट नाती का काला मुंह हुआ और अपने गलत इरादों को अंजाम ना दे सखा।तो दोस्तों यह किरदार था सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी का और एक किरदार आज हमारा है जो व्हाट्सएप और फेसबुक सिर्फ इसलिए चलाते हैं ताकि लड़कियों को chat की जाए।
जब ईसाइयों की शराब और लड़की वाली साजिश काम ना आए तो इन्होंने सुल्तान को कत्ल करने की तीसरी साजिश रचने शुरू कर दी इन लोगों ने हसन मीम से मदद मांगी जो दुनिया का बदतर इंसान था कहता तो था अपने आपको मुसलमान था मगर असल में मुस्लिम वाली कोई बात ही नहीं थी उसमें अपने लोगों की एक ऐसी फौज बना रखी थी जो बड़े-बड़े लोगों को किसी भी हालत में मारने की ताकत रखती थी और आज हम इस फौज को हो ऐसे ही हंस के नाम से जानते हैं अलग-अलग वक्त पर तीन बार ऐसी एशियंस रे सुल्तान सलाहुद्दीन पर हमला किया मगर वह हर बार इन लोगों को मार गिराते। यहां तक कि जेएसएससी sultan salahuddin ayyubi की फौज में उनके बॉडीगार्ड के रूप में भी शामिल हो गए थे और एक दोपहर जब सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी अपने खेमे में सो रहे थे तब इन एसेशंस ने मौका पाकर सुल्तान पर हमला कर दिया मगर सुल्तानी नींद में भी जंग की हालत में होते थे हमला निशाने पर नहीं लगा तो सुल्तान की आंख खुल गई और एक पल में ही सुल्तान ने जान लिया कि यह थी डायन ऐसी चीज है तू सुल्तान ने उसी वक्त अपने मुह से उस ज़ालिम के सिर पर ऐसी चोट मारी कि उस ज़ालिम की हड्डी टूटने की आवाज आई और वह वहीं गिर पड़ा । इतना परेशान हो चुके थे कि ऐसे सुल्तान से कैसे निपटा जाए जब sultan salahuddin ayyubi ने मिस्र में अपनी हुकूमत मजबूत कर ली तो उन्होंने बेहतर मस्जिद की तरफ चढ़ाई करने का इरादा किया इनमें जिहाद का जोश कूट-कूट कर भरा हुआ था उनकी जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद था वह था बैतूल मुक़द्दस की फतेह हितेन के मैदान में मुसलमानों की ईसाइयों से भीषण जंग हुई सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी की फौज ईसाइयों का सफाया करते हुए Baitul Mukaddas की ओर बढ़ रही थी ईसाइयों के फौजी मारे जा रहे थे यहां तक कि खुद सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी दुश्मनों के बीच जाकर दुश्मनों के सर कलम कर रहे थे हजारों ईसाइयों को संग में कत्ल कर दिया गया और कई हजारों को गिरफ्तार कर लिया गया सुल्तान सलाउद्दीन ने आगे बढ़कर बेतूल मुक़द्दस फतह कर स्वर इस्लाम का झंडा गाड़ दिया और पूरे फलस्तीन से मसीही हुकूमत का खात्मा हो गया मस्जिदे अक्सा में दाखिल होकर सुल्तान सलाहुद्दीन ने वह मिमबर जिसे नूरुद्दीन जंगी ने बनवाया था अपने हाथों से मस्जिद में रखा और इस तरह नूरुद्दीन जंगी की ख्वाहिश सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी के हाथों पूरी हुई।
Sultan salahuddin ayyubi फिलस्तीन को फतह  करने के बाद कोई अत्याचार नहीं किया जैसा इस शहर पर कब्जा करते वक्त यूरोप की मसीही लोगो ने मुसलमानों पर किया था सुल्तान सलाहुद्दीन ने जान- माल का अमान देकर ईसाइयों को शहर में रहने दिया।
जो इसाई गरीब थे जो कर भी नहीं दे सकते थे उनके कर की रकम खुद सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी और उनके भाई मलीकुल आदि ने चुकाई जब यूरोप के ईसाई हुक्मरानों के पास यह खबर पहुंची के सलाहुद्दीन अयूबी ने पेट्रोल मग देश पर कब्जा कर लिया है तो पूरे यूरोप में कोहराम मच गया हर तरफ लड़ाई की तैयारियां शुरू होने लगी जर्मनी, इटली, फ्रांस और इंग्लैंड से फाैजे फलस्तीन रवाना होने लगी इंग्लैंड का बादशाह रिचर्ड और फ्रांस का बादशाह फिलम अपनी-अपनी फौजी लेकर फलस्तीन पहुंचे यूरोप की स्थाई सेना से जिस की तादाद तकरीबन छह लाख थी । 3 साल तक sultan salahuddin ayyubi ने अकेले ही लगातार जंगे लड़ी हालांकि उनकी फौज की तादाद सिर्फ कुछ हजारों में ही थी परंतु फिर भी इस आई बेतू मस्जिद पर कब्जा करने में कामयाब ना हो सके क्योंकि अल्लाह ताला सलाहुद्दीन अयूबी के साथ थे। और फिर इसाई हुकमाराम थक हारकर   कर खाली हाथ वापस अपने मुल्क लौट गए यह जंग तीसरी सलीबी जंग कहलाती है। एक ईसाई Baitul Mukaddas पर कब्जा करने के लिए मुसलमानों के खिलाफ जंग करते हैं इस जंग में सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी ने यह साबित कर दिया कि वह इस वक्त की दुनिया में सबसे ताकतवर हुक्मरान है। सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी एक बहादुर बुद्धिमान और एनी दर सिपहसालार तो थे ही इसके साथ ही वे बहुत बड़े दरिया दिल इंसान भी थे उनकी दरियादिली का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब सुल्तान ने Baitul Mukaddas फलस्तीन की स्थाई आवाम को किसी तरह का कोई नुकसान ना पहुंचा या ना ही वहां कोई खून खराबा हुआ बल्कि सुल्तान तो इशारों से इतनी रंगीली से पेश आए कि आज भी इस आई सुल्तान सलाहुद्दीन की इज्जत करते हैं सुल्तान सलाहुद्दीन ने से  बैतूलमुक़द्दस पर फतह किया तो मसीहीओं से समझौता हुआ और सुल्तान ने ईसाईयो को बैतूल मस्जिद की जियारत की इजाजत दे दी जब पूरी दुनिया के ईसाइयों को पता लगा कि वह बैतूल मुक़द्दस की जियारत कर सकते हैं तो इसाई इतनी तादाद में फलस्तीन आने लगे कि सारी सड़को उनकी व्यवस्था करना मुश्किल होने लगा उसने सुल्तान से कहा कि तुम लोगों को ही बैतूल मुक़द्दसकी जियारत करने की इजाजत दी जाए इस पर सुल्तान ने कहा कि सारी लंबा सफर करके मुश्किल से यहां पहुंचते हैं उनको बैतूल मुक्तदस् की जियारत करने से रोकना सही नहीं है सुल्तान ने ना केवल उन ईसाई पादरियों को हर तरह की आजादी दी बल्कि अपनी ओर से बन्दी बनाए हुए इसाई जायरीन के लिए मेहमान खाने सुविधाएं और आराम की व्यवस्था की और खुद उनके साथ बैठकर बातें करते हैं और उनसे अपनी मोहब्बत जाहिर करते यह थे एक मुस्लिम हुकमाराम जिन्होंने ऐसो आराम और ताकत की ज्योता नहीं बल्कि प्यार और मोहब्बत के तौर पर लोगों के दिलों पर राज किया और दूसरी तरफ वे ईसाई हुक्मरान जिन्होंने मारकाट और खून खराबे के अलावा इस दुनिया को कुछ ना दिया सलाहुद्दीन अयूबी से अल्लाह को जो काम लेना था वह पूरा हो चुका था sultan salahuddin ने अपना मकसद पूरा किया और तारीख में एक अजीब मुस्कान हुक्मरान बनकर 1193 इशवी में इस दुनिया को अलविदा कह दिया ! अगर यह कॉन्टेंट आपको पसंद आया हो तो इस इस कॉन्टेंट को शेयर जरुर करें और भी ऐसी इंटरेस्टिंग कंटेंट देखने के लिए हमारा चैनल सब्सक्राइब जरूर करें। सभी मुस्लिमो को ज़रूर शेयर करें ताकि वे भी जान सके कि बैतूलमुक़द्दस को फतह किसने किया था और कौन थे सलाउद्दीन अयूबी।